कबीर दास का जीवन परिचय हिंदी में : अंत में रावण की विजय हुई और उसने जबरन कुबेर से पुष्पक विमान भी छीन लिया। रावण के अत्याचारों से परेशान होकर जब कुबेर अपने पितामह के पास पहुंचे तो उन्होंने कुबेर को शिवाराधना करने इसके बाद भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर कुबेर ने कठोर तप किया था। जिसके फलस्वरुप उन्हें 'धनपाल' की पदवी, पत्नी और पुत्र का लाभ प्राप्त हुआ।